गुलज़ार साहब और पंचम दा, दोनों की अपनी एक शख्सियत है, एक किस्म की रूमानियत है, जो जुदा होने पर अलग है पर साथ होने पर कई झरोखे खोलती है. कई बार पता नहीं चलता लेकिन कुछ लोगो की मौजूदगी आपकी शअख्सियत को एक नई पहचान देती है, एक vibration जो आप से ऐसे मुक्तलिफ़ काम करवाती है जो आपके जेहन में भी न हो. चंद मोती पेश है आपके लिए... वक़्त निकाल कर सुनिए जरुर
- इजाज़त सुने
कतरा कतरा बहती है कतरा कतरा बहने दो जिंदगी है
छोटी सी कहानी से बारिशो के पानी से
- नमकीन सुने
फिर से अइयो बदरा बिदेसी
राह पर चलते है यादो पर सफ़र करते है
- थोड़ी सी बेवफाई सुने
हजार राहे मूड के देखि कही से कोई सदा ना आई
- परिचय सुने
मुसाफिर हु यारो ना घर है ना ठिकाना
- आंधी सुने
तुम आ गए हो नूर आ गया है
तेरे बिना जिंदगी से शिकवा तो नहीं
इस मोड़ से जाते है
- लिबास सुने
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
सिली हवा छु गई, गिला बदन जल गया
- मासूम सुने
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हु मई
हुजूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
दो नैना एक कहानी, थोडा सा आंसु थोडा सा पानी
- खुशबु सुने
ओह मांझी रे
बेचारा दिल क्या करे
- किनारा सुने
नाम ग़ुम जायेगा
जाने क्या सोच कर नहीं गुजरा
घर सुने
आपकी आँखों में कुछ महके हुए से ख्वाब है
फिर वही रात है
आजकल पाव जमी पर नहीं पड़ते मेरे
सितारा सुने
ये साये है ये दुनिया है
थोड़ी सी ज़मीन थोडा आसमान
3 comments:
गुलज़ार और आर डी बर्मन तो दूसरी दुनिया में ले जाते है...
अच्छा है अनुराग भाई। ब्लाग का नाम पढकर आशा जी के एक एलबम की याद आ गई। आप भी जानते ही होंगे। राहुल एंड आई। आपको बधाई। अच्छा कलेक्शन है आपके पास।
अरे वाह..हम तो इनके(गुलज़ार)बहुत बड़े फैन हैं..मजा आया ये जुगलबंदी पढ़ के
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